15 फायदे (Benefits) जिसके कारण म्युचुअल फंड में निवेश (Investment in Mutual Fund) करना जरूरी हो जाता है

 “म्युचुअल फंड सही है” (Mutual Fund Sahi Hai) का स्लोगन म्यूचुअल फंड में निवेश करने के फायदे बताता हैं| यही कारण है कि आजकल देश में प्रत्येक व्यक्ति म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर रहा है| इस निवेश के अनेक फायदे हैं| कोई भी नया निवेशक जानना चाहता है कि हम क्यों म्यूच्यूअल फंड में अपनी बचत (Saving) लगाएं| तो आइए जानते हैं, वह15 फायदे (Benefits) जिसके कारण म्युचुअल फंड में निवेश (Investment in Mutual Fund) करना जरूरी हो जाता है और जो किसी इन्वेस्टर को म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने पर  मिलते हैं:


  • इन्वेस्टमेंट पर सबसे बेहतर रिटर्न (Best Return on Investment) 

म्यूचल फंड में पैसा लगाने पर दूसरे निवेश के विकल्पों की अपेक्षा अधिक रिटर्न मिलता है| जहां बैंक में फिक्स डिपॉजिट (Fixed Deposit) करवाने पर केवल 4-6% प्रतिवर्ष का ब्याज मिलता है, वही म्यूचुअल फंड में लंबे समय (Long Term) तक पैसे लगाने पर 12-15% प्रतिवर्ष का रिटर्न मिलता है| मंथली इनकम स्कीम (Monthly Income Scheme), इंश्योरेंस पॉलिसी (Insurance Policy) आदि के मुकाबले सबसे अच्छी रिटर्न म्यूचल फंड देता है|


  • जरूरत पड़ने पर समय पर पैसा वापस मिल जाना (Easy Liquidity):

म्युचुअल फंड में निवेश किया गया पैसा जरूरत पड़ने पर आसानी से वापिस (Redeem) लिया जा सकता है| म्यूचल फंड कंपनी को ‘Redemption Request’ देने के दो-तीन दिन के अंदर पैसा बैंक अकाउंट में आ जाता है| साथ ही साथ हमें जितने पैसों की जरूरत हो, उतना पैसा हम निकाल सकते हैं और बाकी बचा हुआ पैसा निवेश  रहता है| जैसे बैंक में एफडी तुड़वाने पर (Premature Withdrawal) ब्याज नहीं मिलता हैं या कुछ निवेश में ‘Maturity Date’ से पहले ‘Premature Withdrawal’  का कोई विकल्प नहीं मिलता| परंतु केवल ‘ELSS’ (Equity Linked Mutual Funds) म्युचुअल फंड्स को छोड़कर म्यूचल फंड में निवेशक अपना पैसा कभी भी वापिस ले सकता है|  


मैं तो सुझाव देता हूं कि फंड में पैसा लंबे समय के लिए ही लगाएं| जितना अधिक समय तक पैसा निवेश रहेगा. कंपाउंडिंग (Compounding) के कारण वह पैसा तेजी से बढ़ेगा| 


  • कम पैसों से शुरुआत (Small Investment Money)

म्युचुअल फंड में निवेश की शुरुआत बहुत कम पैसों से भी की जा सकती है| सोना Gold) हो या प्रॉपर्टी (Property), निवेशक को निवेश करने के लिए अच्छी खासी रकम (Investment Money) की जरूरत पड़ती है| हर व्यक्ति के पास हमेशा इतनी बचत (Savings) नहीं होती कि कोई बड़ी राशि लगा सके| परंतु म्यूचल फंड में सामान्य व्यक्ति भी केवल ₹500 से अपनी छोटी-छोटी बचतों (Small Savings) को म्यूचुअल फंड में लगा सकते हैं| “बूंद बूंद से घड़ा भरता है” वाली कहावत सही साबित होती है| यदि एकमुश्त (Lump Sum) पैसे ना हो तो हर महीने ‘SIP’ (Systematic Investment Plan) लगाकर भी हम म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं| जब भी हमारे पास पैसे आए तो उन पैसों को भी म्युचुअल फंड में लगा (Top Up) सकते हैं|  


  • सबसे कम जोखिम (Minimum Risk)

म्यूच्यूअल फंड में निवेश सबसे कम जोखिम वाला निवेश है| किसी निवेश संपत्ति (Asset Class) में निवेश में कोई जोखिम इस बात पर निर्भर करता है:कि हमने निवेश करने से पहले क्या जोखिम के कारणों का अच्छी तरह अध्ययन कर लिया है और म्यूच्यूअल फंड कंपनी (Asset Management Company) की परफॉर्मेंस का अच्छे से मूल्यांकन कर लिया है तथा ऐसे ही अनेक कारणों को हमें जानना होगा|


यदि हम अपने पैसे को दीर्घ-अवधि (Long Term) के लिए निवेश करते हैं, तब लंबे समय में हमारा जोखिम नहीं होता| लेकिन हां!  यदि हमने चढ़ती हुई मार्केट में केवल कुछ समय के लिए पैसे लगाए हैं, और शेयर मार्केट नीचे गिर जाए तो हमारा जोखिम हो सकता है| आमतौर पर म्यूचुअल फंड में नुकसान होने का डर कम ही रहता है, हो सकता है रिटर्न थोड़ी कम आ जाए| 


  • हम अपनी नौकरी या बिजनेस पर ध्यान (Focus) दे पाते हैं 

म्यूच्यूअल फंड की मैनेजमेंट ‘फंड मैनेजर’ (Fund Manager) के हाथ में होती है, जो अपने काम में एक्सपर्ट (Expert) होता है| हम अपने व्यापार या नौकरी में लगे रहते हैं और हमें अपने निवेश को देखने का (Observe) समय नहीं मिलता| हम चाहते हैं कि हम अपने काम पर ध्यान (Focus) रखें|


म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर हमें स्टॉक मार्केट की तरह उतार-चढ़ाव आने पर ध्यान देने की जरूरत नहीं होती| अच्छा फंड मैनेजर हमें बिना किसी Interference के भी अच्छा मुनाफा (Appreciation) दे देता है और हमारी ‘एसेट पोर्टफोलियो’ बड़ी हो जाती हैं| 



  • म्यूच्यूअल फंड निवेश के बहुत सारे विकल्प (Multiple Investment Options)

म्यूच्यूअल फंड में किसी भी निवेशक के पास निवेश के बहुत सारे विकल्प (Options) होते हैं| वह अपनी जरूरत (Needs), आयु (Age), वित्तीय लक्ष्य (Financial Goals), निवेश की अवधि (Investment Duration), जोखिम लेने की क्षमता (Risk Capacity) आदि के आधार पर अच्छा वित्तीय निर्णय (Financial Decision) ले सकता है|


यदि वह युवा (Young) है तो इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund) में पैसे लगा सकता है;  

यदि वह कोई बुजुर्ग (Senior Citizen) है तो डेट म्युचुअल फंड (Debt Mutual Fund) में निवेश कर सकता है; यदि वह ज्यादा जोखिम लेने में विश्वास नहीं रखता तो बड़ी-बड़ी कंपनियों (Large Cap Companies) में पैसा लगा सकता है;और 

यदि वह जोखिम लेकर ज्यादा कमाना चाहता है तब वह स्टार्टअप फंड (Start Up Funds) में पैसा  निवेश कर सकता है, जिससे उसे ज्यादा आय हो|


‘किस Mutual Fund में इन्वेस्ट करें?’ इसका निर्णय लेने के कई आधार हो सकते हैं|


‘रूल ऑफ डायवर्सिफिकेशन’ (The Rule of Diversification) इन्वेस्टमेंट का एक मुख्य सिद्धांत है| यह कहता है कि हमें अपना पैसा एक जगह पर ना लगाकर अलग-अलग जगह निवेश करना चाहिए| जिससे मार्केट में उतार-चढ़ाव आने पर हमारी पूंजी का कोई नुकसान ना हो| म्यूचल फंड में पैसा लगाने से हमें डायवर्सिफिकेशन के फायदे मिलते हैं और हमारा रिस्क कम हो जाता है| 


  • हम टैक्स बचाने के लिए भी म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) ले सकते हैं

इनकम टैक्स अधिनियम (Income Tax Act) 1961 की धारा 80सी (80C) के अंतर्गत यदि हम किसी ELSS (Equity Linked Saving Scheme) में पैसा लगाते हैं, तब हमें अपनी निवेश की राशि पर आयकर से छूट मिलती है| लेकिन इसके लिए सरकार ने 3 वर्ष का लॉक- इन- पीरियड (lock In Period) रखा हुआ है और हम 3 वर्ष तक निवेश से पैसा नहीं निकाल सकते हैं| 


ऐसा नहीं है कि हम जितना चाहे उतना पैसा टैक्स बचाने के लिए म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं| इसके लिए हमेशा एक अधिकतम सीमा दी गई होती है| कोई भी नौकरी पेशा या बिजनेसमैन व्यक्ति (Individual) अपनी इनकम का कुछ हिस्सा ईएलएसएस फंड्स (ELSS Funds) में लगाकर अपनी इनकम टैक्स की देनदारी (Income Tax Liability) को जरूर कम कर सकता है|  


यहां पर ध्यान देने योग्य एक बात है कि यदि हम एकमुस्त (Lump Sum) पैसा ELSS में लगाते हैं, तब तो 3 वर्ष के बाद हम उसे निकाल सकते हैं| परंतु यदि हम SIP द्वारा ELSS में टैक्स बचाने के लिए पैसा लगा रहे हैं, तो हमारी हर महीने की SIP के हिसाब से लॉक इन पीरियड में निवेश रखना जरूरी होगा| 


  • हर तरह के वित्तीय लक्ष्यों (Financial Goals) को हासिल करने के लिए म्यूच्यूअल फंड ले  

किसी भी जरुरत के लिए हम म्यूच्यूअल फंड ले सकते हैं| चाहे वह हमारा छोटी-अवधि का फाइनेंसियल गोल (Short Term Financial Goal) हो, जैसे कार या किसी FMCG को खरीदना| इसके लिए हम ‘Liquid Funds’ या ‘Money Market Funds’ में Invest कर सकते हैं| ; या 


फिर कोई मध्यम-अवधि (Medium Term Financial Goal) का लक्ष्य हो जैसे शादी या फिर बच्चों का जन्म| इसके लिए हम ‘Balance Fund’ या ‘Debt Funds’ में Invest कर सकते हैं; या 

  

लंबी अवधि के फाइनेंसियल गोल (Long Term Financial Goals) जैसे मकान बनाना, बच्चों की उच्च शिक्षा, बच्चों की शादी और रिटायरमेंट के लिए हम ‘Equity Funds’ या ‘Index Funds’ में Invest कर सकते हैं|  


किस तरह के म्यूचुअल फंड में निवेश करें, यह हमारी जरूरत पर निर्भर करेगा| यह बैंक में एफडी का विकल्प भी है और किसी सरकारी बचत योजना (Govt. Saving Scheme) का भी अच्छा विकल्प है| इमरजेंसी फंड बनाने के लिए भी म्यूच्यूअल फंड का प्रयोग किया जा सकता है|


  • आसानी से समझ में आने वाला निवेश विकल्प (Easy to Understand Investment Option)

म्यूचुअल फंड को समझना दूसरे निवेश विकल्पों की अपेक्षा जैसे लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, स्टॉक मार्केट आदि अधिक आसान है| आम आदमी भी थोड़े बहुत ज्ञान से अच्छे Investment Decisions ले सकता है| क्योंकि इसमें म्यूचुअल फंड का मैनेजमेंट फंड मैनेजर करता है, इसलिए गहराई से अध्ययन करना आम व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं है| इसमें Professional Fund Management के कारण गलत वित्तीय निर्णय लेने का जोखिम काफी कम हो जाता है| 


  • म्यूचुअल फंड कम्पनियों पर सरकार द्वारा नियंत्रण (Regulation by Govt)

म्यूचुअल फंड कंपनियां (Asset Management Companies or AMC) अपनी मर्जी से कार्य नहीं करते| उन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और सेबी (Securities and Exchange Board of India) के नियम और कानूनों के अंतर्गत काम करना पड़ता है| यदि कोई AMC किसी नियम/कानून या आदेश का उल्लंघन करते हैं, तो उन पर सरकार द्वारा जुर्माना लगाया जाता है| साथ ही साथ म्यूचुअल फंड की संस्था ‘AMFI’ (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड ऑफ इंडिया) भी बनाई गई है| जो अपने सदस्यों के कार्यकलापों पर नियंत्रण रखती है और निवेशक का पैसा सही तरीके से निवेश हो इसका प्रयास करती है|


  • म्यूचुअल फंड में निवेश करने का पेपरलेस और ऑनलाइन प्रोसेस 

पहले तो म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए एप्लीकेशन फॉर्म भी भरना पड़ता था और केवाईसी (Know Your Customer) भी पूरी करनी पड़ती थी| परंतु अब ज्यादातर प्रोसेस ऑनलाइन और डिजिटल हो गये है| निवेशक घर बैठे ही अपनी इन्वेस्टमेंट कर सकता है| साथ-साथ यदि उसे पैसा निकलवाना (Redemption) है, तब भी Redemption Request वेबसाइट या म्यूचल फंड कंपनी की मोबाइल ऐप पर जाकर ऑनलाइन किया जा सकता है|


हमारी इन्वेस्टमेंट कैसा परफॉर्म कर रही है और हमारे निवेश की मार्केट वैल्यू क्या है? इसकी जानकारी भी हम इंटरनेट की मदद से अपनी Mobile App पर पता कर सकते हैं| कंपनियां भी समय-समय पर इन्वेस्टमेंट की स्टेटमेंट (Statement) निवेशक के ईमेल आईडी पर ईमेल करती रहती है, जिससे उसे अपडेट मिलता रहें रहे|


  • म्यूचल फंड में निवेश करके हम कंपाउंडिंग की पावर (The Power of Compunding) का प्रयोग कर सकते हैं

यदि हम फंड की इनकम या आय को दोबारा म्यूच्यूअल फंड में रीइन्वेस्ट (reinvest) कर देते हैं, तब हमें कंपाउंडिंग के कारण निवेश का अधिकाधिक फायदा मिलता है| यदि हम इन्वेस्टमेंट का ग्रोथ ऑप्शन (Growth Option) लेकर, लंबे समय में बहुत ज्यादा ग्रोथ (Appreciation) प्राप्त कर सकते हैं|


‘ग्रोथ ऑप्शन’ में Investment Return ‘डिविडेंड ऑप्शन’ की अपेक्षा अच्छी मिलती है| इसलिए कंपाउंडिंग का फायदा लेने के लिए, है लंबे समय के लिए निवेश करें| अपने डिविडेंड को कभी भी ना निकाले (No Withdrawal) और दोबारा से निवेश कर दें|

 

  • म्यूच्यूअल फंड पर सीमित आयकर (Reasonable Tax)

आमतौर पर म्यूच्यूअल फंड से होने वाली आय पर दूसरे विकल्पों की अपेक्षा सीमित आयकर लगता है| बल्कि धारा 80सी के अंतर्गत यदि हम ELSS फंड में पैसा लगाते हैं, तब उस पर इनकम टैक्स से छूट मिलती है| 


म्यूच्यूअल फंड पर लगने वाला आयकर या इनकम टैक्स काफी कम होता है या कर मुक्त होता है| क्योंकि सरकार भी चाहती है कि आम आदमी इन्वेस्टमेंट के इस विकल्प को चुने और अपनी बचत SIP द्वारा या एकमुश्त (Lump Sum) अपनी जरूरत के हिसाब से लगाएं| 


निवेशक चाहे तो ELSS में भी निवेश कर सकता है और अपनी आय पर लगने वाले आयकर को कम कर सकता है| म्यूच्यूअल फंड पर इनकम टैक्स के क्या प्रावधान है, इसको जानने के लिए मेरा दूसरा ब्लॉग पढ़ें| 


  • क्योंकि म्यूचुअल फंड में निवेश से मार्केट के उतार-चढ़ाव (Market Volatility) का कम असर होता है

एक आम व्यक्ति मार्केट में गिरावट आने पर (Bearish Phase) घबरा जाता हैं और अपनी इन्वेस्टमेंट बेच देता है| वहीं मार्केट के ऊपर जाने पर (Bullish Phase) निवेश करता है| परंतु एक इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट उस उतार-चढ़ाव की स्थिति में भी अपनी समझ-बूझ लगाकर बहुत बड़ा मुनाफा कमा लेता है| फंड मैनेजर अच्छे फाइनेंशियल एनालिस्ट होते हैं, इसलिए हमें उनके हाथ में पैसे सौंपने से ज्यादातर फायदा ही होता है| हमें बड़े पैमाने पर काम करने का फायदा (Economies of Scale in Investments) भी मिलता है|


  • क्योंकि म्यूच्यूअल फंड से हर वर्ग को फायदा मिलता है और यह सभी के लिए जीत की स्थिति (Win-Win Situation) है

चाहे वह कोई व्यक्ति हो या कोई सरकार, म्यूच्यूअल फंड निवेश सभी के लिए फायदेमंद है| इस निवेश के द्वारा एक आम व्यक्ति भी आर्थिक खुशहाली (Financial Wellbeing) पा सकता है, आर्थिक आजादी (Financial Freedom) पा सकता है और अपनी आर्थिक समस्याओं (Money Problems) से मुक्ति पा सकता है|


वहीं सरकार के पास ज्यादा निवेश होने से आर्थिक विकास (Economic Development) में सहायता मिलती है| देश के नागरिकों की जिम्मेवारी सरकार की होती है| जब देश के लोग आत्मनिर्भर होते हैं, तब सरकार पर दबाव कम हो जाता है| 


चाहे वह कोई 7 साल का स्कूल जाता बच्चा हो या 70 साल का कोई बुजुर्ग, किसी सामान्य परिवार की घरेलू कार्यों में लगी कोई महिला हो या किसी ऑफिस या MNC (Multi National Company) में काम कर रही कोई कामकाजी महिला (Working Woman), म्यूच्यूअल फंड निवेश सभी के लिए बहुत जरूरी है|


Also Read: म्यूचुअल फंड क्या होते हैं? म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है?


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